dr. j k gargउनके अनुसार भारत की सभी समस्याओं का समाधान अहिंसा में छिपा है। गांधीजी का ऐसा मानना था की व्यक्ति को हर परिस्थिति में अपना धैर्य बनाये रखना चाहिए और कभी भी असत्य के मार्ग को नहीं अपनाना चाहिए, गांधीजी ने निज स्वार्थ के लिए कभी भी कोई कार्य नहीं किया वो कभी भी किसी लाभ के पद पर नहीं रहे उनका ऐसा मानना था की निज स्वार्थ मनुष्य के अंदर कायरता, लोभ, मोह जैसे दुर्गुणों का संचार करती है जिससे ना तो व्यक्ति का भला होता है और ना ही परिवार और उस समाज का जहाँ वो रह रहा है।निसंदेह गांधीजी की विचारधारा सत्य, अहिंसा, कर्तव्यपराण्यता, सहनशीलता एवं संवेदनशीलता पर आधारित थी जिसके आत्मबल पर उन्होंने भारत को अंग्रेज़ो की गुलामी से स्वतंत्रता दिलाई जिससे यह बात प्रमाणित होती है कि अगर आदमी के अंदर सत्य, अहिंसा, कर्तव्यपराण्यता, सहनशीलता एवं संवेदनशीलता उपस्थित हो तो वो अपने देश में सुधारवादी अहिंसात्मक क्रांति ला सकता है।गांधीजी की ऐसी विचारधारा थी कि राज्य को धर्म के मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, उनके अनुसार ईश्वर तो सत्य एवं प्रेम का रूप हैं, उनका भी यही मानना था की सबका मालिक एक है बस सब ईश्वर की अलग अलग व्याख्या करते हैं, गांधीजी का स्वयं का जीवन मानव और समाज का वो नैतिक लेख है जिसके गर्भ दृष्टि से उनकी अहिंसा एवं सत्य की विचारधारा का प्रादुर्भाव हुआ।
बापूजी की 2 अक्टूबर 2022 को उनकी 153 वीं जयंती पर हम सभी उनके चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके संकल्पों का देश बनाने काप्रण लें और ऐसा भारत बनाये जहां सभी धर्मों का सम्मान करें खुद जिएं दूसरों को अपनी आस्था के मुताबिक़ जीने दें | अपनी बात कहने आजादी दें | मत भेद हो सकते है किन्तु मन भेद नहीं हो |