प्रेरणा स्त्रोत युगप्रवर्तक स्वामी विवेकानन्द Part 3

स्वामीजी ने अपना सारा जीवन अपने गुरु रामकृष्ण परमहंसदेव को समर्पित कर दिया | विवेकानंदजी धार्मिक आडम्बरवाद, कठमुल्लापन और रूढ़ियों के सख्त विरोधी थे। उन्होंने धर्म को मानव मात्र की सेवा के केन्द्र में रखकर ही आध्यात्मिक चिंतन-मनन किया था। उनका हिन्दू धर्म अटपटा, रुढीवादी एवं अतार्किक मान्यताओं मानने वाला नहीं था। स्वामीजी ने उस … Read more

प्रेरणा स्त्रोत युगप्रवर्तक स्वामी विवेकानन्द Part 4

स्वामी विवेकानन्द परमात्मा में विश्वास से अधिक अपने आप पर विश्वास करने को अधिक महत्व देते थे। स्वामीजी ने कहा कि जीवन में हमारे चारो ओर घटने वाली छोटी या बड़ी, सकारात्मक या नकारात्मक सभी घटनायें हमें अपनी असीम शक्ति को प्रगट करने का अवसर प्रदान करती है। आज भी स्वामीजी का साहित्य किसी अग्निमन्त्र … Read more

व्यक्तित्व निर्माण में सहायक सिद्ध होता है दान

जो हम देते हैं वो ही हम पाते हैं ‘ दान के विषय में हम सभी जानते हैं। दान, अर्थात देने का भाव, अर्पण करने की निष्काम भावना। भारत वो देश है जहाँ कर्ण ने अपने अंतिम समय में अपना सोने का दांत ही याचक को देकर, ऋषि दधीचि ने अपनी हड्डियां दान करके और … Read more

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से खास बातचीत

देश की आर्थिक हालत खराब, श्वेत पत्र जारी करे सरकार, और आरएसएस पार्टी बनकर मैदान में उतरे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केंद्र सरकार पर बड़े हमलावर नेता के रूप में उभर रहे हैं। बरबाद होती जा रही वित्तीय व्यवस्था और देश के आर्थिक हालात को लेकर वे सरकार पर लगातार हमले कर रहे हैं। … Read more

*विचार – प्रवाह*

“खिचड़ी” हमेशा से पसंदीदा भारतीय व्यंजन रही है । बचपन में सुना था ” खिचड़ी के हैं चार यार , दही, पापड़, घी,अचार ” । खिचड़ी को रुचिकर बनाने के लिए समय- समय पर प्रयास भी होते रहे हैं । इसे राष्ट्रीय भोजन के रूप में प्रतिष्ठित कराने के भी अभियान चले हैं । आस्था … Read more

छपाक से छपाक पर कूद पडे

जब कुछ नकाबपोश लोगों ने जेएनयू में घुसकर वहां के छात्रों से मारपीट की और पुलीस तमाशबीन बनी रही तो अगले रोज सिने तारिका दीपिका पादुकोण छात्रों के समर्थन में वहां गई. इस पर कुछ निहित स्वार्थ के लोग छपाक से उनकी फिल्म “छपाक” पर बिफर पडे. ऐसे ही जब फिल्म “टॉयलेट” रिलीज हुई थी … Read more

धुंध भी हटेगी और धूप भी खिलेगी

इस दुनिया में हर व्यक्ति दुःखी है और दुखों से परेशान है, असफल होने के डर में जी रहा है। इस परेशानी से मुक्ति भी चाहता है लेकिन प्रयास अधिक दुःखी एवं असफल होने के ही करता है। हर व्यक्ति का ध्यान अपनी सफलताओं पर कम एवं असफलताओं पर अधिक टिका है। सकारात्मक नजरिया बनाने … Read more

मच्छर और आदमी

एक मच्छर रोज़ एक आदमी के घर आता था आदमी उसे पकड़ने की कोशिश करता पर मच्छर भाग जाता था । एक दिन उसी मच्छर ने आदमी को काटा गुस्से में आकर आदमी ने मार दिया उसे चाँटा । मच्छर वही ढेर हो गया पट्ठा रोज शेर बनता था आज आदमी सवा शेर हो गया … Read more

प्रेरणा स्त्रोत युगप्रवर्तक स्वामी विवेकानन्द Part 3

स्वामीजी ने अपना सारा जीवन अपने गुरु रामकृष्ण परमहंसदेव को समर्पित कर दिया | विवेकानंदजी धार्मिक आडम्बरवाद, कठमुल्लापन और रूढ़ियों के सख्त विरोधी थे। उन्होंने धर्म को मानव मात्र की सेवा के केन्द्र में रखकर ही आध्यात्मिक चिंतन-मनन किया था। उनका हिन्दू धर्म अटपटा, रुढीवादी एवं अतार्किक मान्यताओं मानने वाला नहीं था। स्वामीजी ने उस … Read more

*विचार – प्रवाह*

जब एक को देखकर दूसरा भी वैसा ही करता है तब हम “ख़रबूज़े को देखकर खरबूजा रंग बदल रहा है ” वाली कहावत काम में लेते हैं । इसी प्रकार बेचारे एक सीधे – सादे , हानिरहित और शांत प्रकृति के जीव पर भी “गिरगिट की तरह रंग बदलना” कहावत गढ़कर उसे व्यर्थ ही बदनाम … Read more

*विचार – प्रवाह*

“झुनझुना” और “लॉलीपॉप” दोनों ही रोते हुए छोटे बच्चों को मनाने या चुप कराने की चीजें हैं । लॉलीपॉप चीनी की चूसने की डंडीदार कैंडी है और झुनझुना भी एक डंडीदार खिलौना है । दोनों का ही काम लालच देकर बच्चों को खुश कराना है । अक्सर यह काम भारतीय माताएँ करती हैं जिसमे उनका … Read more

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