आपने स्वार्थ के लिये जनता को मुर्ख न बनाएं

जब देश के पढ़े –लिखे बुद्धिजीवी लोग जिनमें कुछ डॉक्टर वकील, शिक्षक,प्रोफेसर, स्कूल कॉलेज के डायरेक्टर, पत्रकार, संपादक जैसे लोग सी ए ए और एन आर सी में अंतर समझे बिना मुस्लिम समुदाय को भृमित करने वाली बातें सोशल मीडिया में कथित सेक्युलरिज्म या फिर गंगा जमुनी तहजीब के नाम पर डालते हैं तो उनकी … Read more

कंग्रेस बैसाखी के सहारे आगे बढ़ी, बीजेपी अपने पैरों पर खड़े होने के चक्कर मेें औंधी गिरी

मोदी नाम केवल्म से नहीं जीते जा सकते हैं राज्य -संजय सक्सेना, लखनऊ- झारखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली हार को लेकर हर तरफ हाय-तौबा मचा हुआ है। सब अपने-अपने तरीके से बीजेपी की हार की समीक्षा कर रहे हैं, खासकर राष्ट्रीय दल का तमगा हासिल किए हुए कांग्रेस-बीजेपी की जर्बदस्त तुलना … Read more

विचार – प्रवाह

समझौता एक अच्छी बात है , अच्छी परम्परा है किन्तु थककर और झुककर किया गया समझौता अच्छी बात नहीं है । असत्य के सामने झुककर अथवा भयभीत होकर किया गया समझौता तो कभी भी अच्छे परिणाम नहीं दे सकता । हठ करके बात मनवाना न्याय संगत नहीं हो सकता । आदमी झुककर बड़ा होता है … Read more

जनमानस में जानकारी का आभाव बना विपक्ष का हथियार

नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद से ही देश के कुछ हिस्सों में इस कानून के विरोध के नाम पर जो हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं वो अब गंभीर चिंता ही नहीं चिंतन का भी विषय बन गए हैं। हर बीतते दिन के साथ उग्र होते जा रहे आन्दोलनों और आंदोलनकारियों के हौंसलों के आगे … Read more

और अब गिध्दखाना खुल रहा है !

खबर है कि अपने उत्तम प्रदेश यानि कि य़ू पी के महाराजगंज में सरकार एक गिध्दखाना खोलने जा रही है और दिलचस्प बात यह है कि स्थान के चुनाव की वजह बताई जा रही है पास ही पहले से स्थापित गौशाला को. कुछ समय पूर्व, जब मध्य प्रदेश में शिवराज जी की सरकार थी, यह … Read more

विचार – प्रवाह

झूठ छिपता फिरता है , सत्य सरेआम घूमता रहता है ।झूठ को संरक्षण की आवश्यकता होती है , सत्य को नहीं । झूठ के सहयोग और हिमायत के लिए कोई आगे नहीं आता किन्तु सत्य के समर्थन के लिए लाखों लोग जुड़ जाते हैं । लगता है ये सब बातें पुरातन हो चुकी है । … Read more

जिन्दगी क्यों भार स्वरूप लगने लगती है?

जीवन से जुड़ा एक बड़ा सवाल है कि विषम परिस्थितियां क्यों आती है? जिन्दगी क्यों भार स्वरूप लगने लगती है? क्यों हम स्वयं से ही खफा से रहने लगते हैं? इसका सबसे बड़ा कारण है हमने जीने के जो साफ-सुथरे तरीके थे या जो जीवनमूल्य थे उन्हें भूला दिया है। जिंदगी का मकसद अगर खुद … Read more

विचार – प्रवाह

झूठ छिपता फिरता है , सत्य सरेआम घूमता रहता है ।झूठ को संरक्षण की आवश्यकता होती है , सत्य को नहीं । झूठ के सहयोग और हिमायत के लिए कोई आगे नहीं आता किन्तु सत्य के समर्थन के लिए लाखों लोग जुड़ जाते हैं । लगता है ये सब बातें पुरातन हो चुकी है । … Read more

विचार – प्रवाह

श्रेष्ठ विचार किसी के भी हो , उन्हें आत्मसात कर लेने में कोई बुराई नहीं है किंतु ध्यान इस बात का भी रखा जाए कि हम अंधानुकरण ना करें । हर व्यक्ति के पास अपना विवेक होता है अतः उद्गारों को अपनी कसौटी पर कसकर ही उनका अनुगमन करना श्रेयकर होता है । कई बार … Read more

आम-बजट में राहत की उम्मीदें

देश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, व्यापार की टूटती सांसें, आर्थिक सुस्ती एवं विकास की रफ्तार में लगातार आ रही गिरावट चिंता एवं चिन्तन का कारण है। जनता महंगाई एवं नवीन आर्थिक परिवर्तनों से जार-जार है, लोग बढ़ती महंगाई को लेकर चिंतित हैं, वे चाहते हैं कि आयकर सीमा बढ़ाई जानी चाहिए। वित्तमंत्री से इस बार … Read more

राष्ट्र की शुभता को आहत करने के षड़यंत्र

नागरिकता संशोधन कानून का जैसा हिंसक विरोध असम एवं पश्चिम बंगाल के बाद अब दिल्ली में हो रहा है उससे यही पता चल रहा कि अराजक तत्व उत्पात पर आमादा हैं, वे देश को जोड़ना नहीं तोड़ना चाहते हैं। सरकारी एवं निजी संपत्ति को आग के हवाले करने और सड़क एवं रेल मार्ग को बाधित … Read more

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