तुम एक विल-क्षण नारी थी पर इतिहासों के पृष्टो पर?
हे याज्ञसेनी, हे अग्निगर्भा, तुम एक विल-क्षण नारी थी पर इतिहासों के पृष्टो पर, बस ताड़ना की अधिकारी थी ना जन्म लिया देखा बचपन, ना देखा नन्हा सा क्रंदन अद्भुत यज्ञ था शुचि अनल ,युवति बन तुमने लिया जन्म फिर लक्ष्य प्राप्ति हेतु तुमने, था किया खुद को आहुति सखी क्या मन में उपजी नहीं … Read more