इंसानियत से प्यार
इंसानियत से प्यार जब दीन-ओ-जान हो जायेगा मुज़्तरिब हाल में हाथ थामना ईमान हो जायेगा रस्म है, ज़िंदगी करवटें बदलती रही इब्तिदा से शिद्दत से जिया जो मालिक मेहरबान हो जायेगा ख़ुदसे मुलाक़ात कीजिये रोज़ाना आईने के रूबरू बिख़र गया चकाचौंध में फिर इंसान हो जायेगा हो गया ख़ामोश गिर कर इंसाँ तौबा भी कीजिये … Read more