रेल में 31 अगस्त से यात्री को 10 लाख के बीमा की सुविधा / 92 पैसे में

( पायलट प्रोजेक्ट के तौर फिलहाल साल भर के लिये लागू इस स्कीम का फायदा यात्रियों को ट्रेन में आतंकी हमला, डकैती, गोलीबारी और आगजनी की घटनाओं पर भी होगा।) भारतीय रेलवे ऑनलाइन रेलवे के टिकट बुक करने वाले यात्रियों को 92 पैसे में 10 लाख रुपये का ट्रैवल इंश्योरेंस देगी। 31 अगस्त से इस … Read more

क्या हो गया संवेदनशीलता को

ऐ मेरे भारत क्या हो गया तेरे संवेदनशीलता को । मात्र चंद पेसो के लिए इन्शानियत को शर्मशार होना पड़ा और मात्र कुछ घंटे के बाद शर्मशार करने वाली एक के बाद दूसरी घटना और सामने आ गई । अभी 12 किलोमीटर पत्नी का शव कंधे पे लाद कर पैदल अपने गाँव जाने का मामला … Read more

फिर भी मैडल की आस क्यों

अजीब देश है हमारा। यहां खिलाड़ी तैयार करने पर सरकार पैसे खर्च नहीं करती। लेकिन मैडल जीतने वाले खिलाडियों को करोड़ों का इनाम दे देती हैं। जहां खेल सँघ खिलाड़ी नहीं, ऐसे लोग चलाते हैं जिनका खेलों से कोई वास्ता नहीं होता। जहां विदशोँ मे खेल आयोजनोँ मे खिलाडियों से ज्यादा अधिकारी जाते हैं। जहां … Read more

मैं हिन्दोस्तान हूँ ……

मैं हिन्दोस्तान हूँ,हिमालय मेरी सरहद का पासबान है |गंगा मेरी पाकीज़गी का ऐलान करती है | ग़रीब नवाज़ और गुरु नानक मेरे बाशिंदों को दरवेशी और मोहब्बत का सन्देश देते हैं | महात्मा गांधी और सीमान्त गांधी विश्वास का महल तैय्यार कर के अमन से रहने का विचार सींचते हैं | मुझे कोई भारत माता … Read more

फिर गाँधी की हत्या

आज फिर गांधी की हत्या हुई। गोडसे को पुनः नवजीवन मिला। खुद गांधी का नाम ओढने वालो ने बापू के हत्यारे को भी एक नाम में कैद कर दिया। गोडसे कोई अकेला नाम नहीं है। एक विचार है। उस विचार को गांधी की नैतिक उपस्थिति न केवल खडेडती है ,अपितु उसके पोषकों की शिनाख्त भी … Read more

जैशा की बेहोशी खेल नीति की असफ़लता का प्रतीक

वर्तमान भारत सरकार ने अपने दिग्भ्रमित विचारों के कारण सभी मोर्चों पर भारत वर्ष के स्वाभिमान,सम्मान और विकास पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगा दिए हैं | उसी अव्यवस्था का शिकार भारत सरकार की खेल नीति भी हुयी है हम अपने ऐसे भूखे प्यासे खिलाडियों से देश के सम्मान के लिए स्वर्ण पदक लाने का मतालबा कर … Read more

सफल जीवन के लिये विश्वास से भरा मन जरूरी

हम जीवन खुशनुमा तभी बना सकते हैं जब हमारा जिन्दगी के प्रति सकारात्मक नजरिया होता है। हर व्यक्ति की यह स्वाभाविक प्रवृत्ति है कि वह अपने जीवन में सफलता की उच्चतम ऊंचाइयों को छूना चाहता है। उसकी यह नैसर्गिक आकांक्षा होती है कि उसे मनचाही वस्तु मिले, मनचाहा पद मिले, मनचाहा जीवन साथी मिले, मनचाहा … Read more

नई सास का चक्कर

पति ने कहा- ‘‘ मैं रेलवे स्टेषन जा रहा हॅू ।‘‘ पत्नी बोली क्यों ? पति ने कहा – ‘‘ सास को लेने ।‘‘ पत्नी बोली- ‘‘पापा – मम्मी तो सुबह की टेªन से आ गए ‘‘ , मै लेने गई थी। आपको जगाने के लिया खूब आवाज लगाई थी पर आप उठे नहीं ? … Read more

बैठे ठाले ?

हमारे देश में सभी नैतिक अनैतिक कार्य स्वर्गारोहण की कल्पना करने के बाद होते हैं ? स्वर्गारोहण यानि मृत्यु के पश्चात स्वर्ग की कल्पना ? वैसे स्वर्ग किसी ने देखा नहीं है ? पर धनवान लोग इसी धरती पर अपने लिए स्वर्ग का निर्माण कर लेते है और सारा सामान एकत्र करके स्वर्ग भोगते भी … Read more

तीन अवस्थाओं से घिरा चक्र

प्रायः हर चीज की तीन अवस्थाएॅ होती है ,जिसमें उसके भिन्न-भिन्न रुप होते हैं । जैसे जीवन की तीन अवस्थाएॅ होती है – बचपन , जवानी एवं बुढ़ापा । पति के प्रति विवाहित स्त्री के जीवन में भी तीन आवस्थाएॅ होती है। पहले तीन साल चन्द्रमुखी , दूसरे तीन साल तक सूरजमुखी एवं बाद के … Read more

परसाई के जबलपुर में शक्तिपुंज …!!

तारकेश कुमार ओझा ​प्रख्यात व्यंग्यकार स्व. हरिशंकर परसाई , चिंतक रजनीश और फिल्मों के चरित्र अभिनेता रहे प्रेमनाथ के गृह शहर जबलपुर जाने का अवसर मिला तो मन खासा रोमांचित हो उठा। अपने गृह प्रदेश उत्तर प्रदेश में रोजी – रोजगार के सिलसिले में महाकौशल के जबलपुर और आस – पास के जिलों में बस … Read more

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