हंसते—मुस्कराते जीये जिन्दगी Part 5

जिंदगी का मंत्र — हर हाल में जिंदगी का साथ निभाते चले जाओ, किंतु हर ग़म , हर फ़िक्र को , धुएँ में नही ,हँसी में उडाते जाओ। यदि सच पूछा जाए तो मुनष्य और जानवर में अंतर ही क्या है, सिवा इसके कि मुनष्य हँस सकता है परंतु जानवर हँस नहीं सकता। अर्थात ‘हँसना … Read more

हंसते—मुस्कराते जीये जिन्दगी Part 4

हास्य में बाधक सामाजिक मर्यादाएँ——- आज के तथाकथित सभ्य समाज में अकारण हँसने वालों को मूर्ख अथवा पागल समझा जाता है। सामाजिक मर्यादाओं के प्रतिकूल होने से बिना बात हँसने से लज्जा आती है। अतः घर में बच्चों के अलावा अन्य परिजन विशेषकर महिलाओं एवं वृद्धों का, धर्म संघ में संतों का, कार्यालय में पदाधिकारियों … Read more

हंसते—मुस्कराते जीये जिन्दगी Part 3

हंसना हंसाना भी है एक चिकित्सा स्ट्रेस, तनाव, चिंता, भय, क्रोध, निराशा, चिड़चिड़ापन, हड़बड़ी, अधीरता आदि नकारात्मक प्रवृत्तियों से हमारी अंतःस्रावी ग्रन्थियाँ खराब होती है जो शरीर में विभिन्न रोगों को निमन्त्रण देने में मुख्य भूमिका निभाती है। यदि हमारा चेहरा सदैव मुस्कराता हुआ प्रसन्नचित्त रहे तो निच्चीत ही हम अनेक रोगों से अपने आपको … Read more

हंसते—मुस्कराते जीये जिन्दगी Part 2

मुस्कराना हमारा जन्म सिद्ध मोलिक अधिकार है मुस्कराना हम सब का जन्म सिद्ध अधिकार है, जो हमको हमारे जन्म के साथ ही प्राप्त हो जाता है | नवजात शिशु अपने जन्म के एक सप्ताह बाद ही मुस्काना शुरू कर देता है एवं एक महिने का होने तक तो खिलखिला कर मुस्कुराता भी है | शोधकर्ताओं … Read more

हंसते—मुस्कराते जीये जिन्दगी Part 1

शरीर की विभिन्न बोलियों में मुस्कराहट-मुस्कराना सबसे शक्तिशाली बोली है | सच्चाई तो यही है कि मुस्कराहट दो व्यक्तियों के मध्य की दूरी को न्यूनतम बना देती है, वहीं प्यार भरी मुस्कराहट सारे घर को सूर्य की रोशनी जगमगा देती है | निसंदेह शरीर की विभिन्न बोलियों में मुस्कराहट-मुस्कराना सबसे शक्तिशाली बोली है | याद … Read more

क्रांति के साथ शांति के प्रवर्तक: अरविन्द

महर्षि श्री अरविन्द की पुण्यतिथि, 5 दिसम्बर 2017 एक सार्थक प्रश्न कि क्या इंसान सामथ्र्यवान ही जन्म लेता है या उसे समाज और परिस्थितियां गढ़ती है? मनुष्य जीवन की उपलब्धि है चेतना, अपने अस्तित्व की पहचान। इसी आधार पर वस्तुपरकता से जीवन में आनन्द! यह बात छोटी-सी उम्र में महर्षि अरविन्द ने समझ ली थी। … Read more

राजेन्द्र बाबू के जीवन के प्रेरणादायक एवं मनस्पर्शी अनछुए पहलू— Part 3

आजादी आन्दोलन में शामिल होने के लिये छोडी वकालत उन दिनों डॉ. राजेन्द्र प्रसाद देश के गिने चुने नामी वकीलों में गिने जाते थे। उनके पास मान-सम्मान और पैसे की कोई कमी नहीं थी। लेकिन जब गांधी जी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया तो राजेन्द्र बाबू ने वकालत छोड़ दी और अपना पूरा समय मातृभूमि … Read more

दिव्यांगों को जीवन की मुस्कान दें

अन्तर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस, 3 दिसंबर, 2017 पर विशेष हर वर्ष 3 दिसंबर का दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकलांग व्यक्तियों को समर्पित है। वर्ष 1976 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा के द्वारा “विकलांगजनों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष” के रूप में मनाया गया और वर्ष 1981 से अन्तर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस मनाने की विधिवत शुरुआत हुई। विकलांगों के प्रति … Read more

प्रेरणादायक एवं मनस्पर्शी अनछुए पहलू— Part 2

राजेन्द्र बाबू की दिनचर्या पर गांधीजी की छाप समाज के बदलने से पहले अपने को बदलने का साहस होना चाहिये। “यह बात सच थी,” बापूजी की इस बात को राजेन्द्र बाबू ने अंतर्मन से स्वीकार किया वे कहते थे कि “मैं ब्राह्मण के अलावा किसी का छुआ भोजन नहीं खाता था। चम्पारन में गांधीजी ने … Read more

प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र बाबू के जीवन के प्रेरणादायक एवं मनस्पर्शी अनछुए पहलू— पार्ट 1

सज्जनता और सादगी की प्रतिमूर्ति प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 दिसम्बर 1884 को हुआ था। |पूरे देश में उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें देशरत्न राजेन्द्र बाबू के नाम से पुकारा जाता था। स्वाधीनता से पहले जुलाई सन् 1946 में आजाद भारत का संविधान बनाने के लिए गठित संविधान सभा का उन्हें अध्यक्ष … Read more

ईद मिलादुन्नबी मुबारक

मुश्किल थे जो रास्ते वो आसान हो गए, दुश्मन भी ये देखकर हैरान हो गए । रखा जब कदम मेरे नबी ने इस ज़मीं पर, पत्थर भी कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए ॥ मक्का शहर में 571 ईसवी को पैगम्बर साहब हजरत मुहम्मद सल्ल. का जन्म हुआ था। इसी की याद में ईद मिलादुन्नबी का … Read more

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