क्या अब प्रो. जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा को आगे लाया जाएगा?

प्रो. सांवरलाल जाट
प्रो. सांवरलाल जाट
अजमेर के सांसद व केन्द्रीय जलदाय राज्य मंत्री प्रो. सांवरलाल को कथित रूप से स्वास्थ्य कारणों से मंत्रीमंडल से हटाए जाने के साथ ही राजनीतिक हलकों में एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है। वो यह कि अगर प्रो. जाट अस्वस्थता के चलते वे बहुत सक्रिय नहीं रह सकते तो आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उनके विकल्प के तौर पर किस जाट नेता को आगे बढ़ाया जाएगा।
वस्तुत: पिछले परीसीमन के बाद अजमेर लोकसभा क्षेत्र जाट बहुल हो गया है। इसी के मद्देनजर भाजपा ने पिछले चुनाव में जाट नेता प्रो. जाट को मैदान में उतारा और वह प्रयोग सफल रहा। चाहे उसमें मोदी लहर का भी योगदान रहा हो। सब जानते हैं परिसीमन से पहले यह रावत बहुल सीट थी, उसी की बदौलत प्रो. रासासिंह रावत लगातार यहां से जीतते रहे। परिसीमन के बाद रावत बहुल इलाका इस लोकसभा क्षेत्र से कट गया। उसी के चलते प्रो. रासासिंह रावत की जगह किरण माहेश्वरी को चुनाव मैदान में उतारा गया, मगर वे कांग्रेस के दिग्गज सचिन पायलट के आगे टिक नहीं पाईं और वह प्रयोग विफल हो गया। गलती को सुधारते हुए उसके बाद के चुनाव में प्रो. जाट पर दाव खेला गया और वह पूरी तरह से सफल रहा। अब जब स्वास्थ्य कारणों के चलते प्रो. जाट को मंत्रीमंडल से हटाया गया है तो भाजपा के लिए विचारणीय सवाल ये हो गया है कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए किस जाट नेता को उभारा जाए।
यूं तो भाजपा के पास कई जाट नेता हैं, मगर समझा जाता है कि प्रो. जाट अपने बेटे रामस्वरूप लांबा को आगे लाना चाहेंगे। अपने बेटे को राजनीतिक वारिस बनाने के मकसद से ही उसका नाम उन्होंने पिछले नसीराबाद विधानसभा उपचुनाव में आगे बढ़ाया था। ज्ञातव्य है कि प्रो. जाट के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह सीट खाली हो गई थी। तब लांबा के लिए पूरी ताकत लगाई गई, मगर उन दिनों भाजपा में परिवारवाद के खिलाफ माहौल बना होने के कारण उनको मौका नहीं मिला। यदि भाजपा लांबा को आगे लाना चाहेगी तो स्वाभाविक रूप से उनको प्रो. जाट के निजी समर्थकों व जाट समाज का पूरा सहयोग मिलेगा। यूं भी मंत्री पद से हटाए जाने का उनके समर्थकों व समाज को मलाल है, ऐसे में लांबा को संवेदना का फायदा मिल सकता है। ज्ञातव्य है कि प्रो. जाट केवल भाजपा के दम पर नहीं हैं, बल्कि उनकी अपने समर्थकों की लंबी चौड़ी फौज है, जो कि प्रो. जाट के केन्द्र व राज्य में मंत्री रहते उपकृत हो चुकी है। मंत्री पद से हटाए जाने के कारण भाजपा हाईकमान पर भी समायोजन के तौर पर लांबा को तवज्जो देने का दबाव रहेगा।
भाजपा के पास दूसरे सबसे दमदार नेता अजमेर डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी हैं, जो कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट से जबरदस्त नाइत्तफाकी के चलते कांग्रेस छोड़ चुके हैं। हालांकि भाजपा में शामिल नहीं हुए हैं, मगर पिछले चुनाव में उन्होंने भाजपा के लिए खुल कर काम किया था। डेयरी अध्यक्ष के नाते चौधरी का अजमेर लोकसभा क्षेत्र के गांव-गांव ढ़ाणी-ढ़ाणी तक नेटवर्क है। जिले का शायद की कोई ऐसा गांव हो, जहां तक उनकी पहुंच व पकड़ न हो। अगर भाजपा उनको आगे लाती है तो उनसे बेहतर कोई नेता हो नहीं सकता। वैसे यहां आपको बता दें कि कुछ लोग अब भी चौधरी की कांग्रेस में वापसी की कोशिशों में लगे हुए हैं। भाजपा के पास तीसरा नाम है श्रीमती सरिता गैना का, जो कि जिला प्रमुख रह चुकी हैं। जिला प्रमुख रहते उन्होंने पूरे जिले में अपनी कुछ पकड़ बनाई, मगर पिछले विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के रामनारायण गुर्जर से पराजित हो कर अपने नंबर कम करवा चुकी हैं। प्रो. जाट की सीट खाली होने के बाद सरिता गैना इस जीती हुई सीट को केन्द्र व राज्य में भाजपा सरकारें होते हुए भी कब्जे में नहीं रखवा पाईं। उनके स्वसुर सी. बी. गैना की भी दावेदारी गिनी जाती रही है। उनके अतिरिक्त किशनगढ़ विधायक भागीरथ चौधरी भी एक विकल्प हो सकते हैं। लब्बोलुआब यह तय है कि प्रो. जाट की अस्वस्था के चलते आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर किसी जाट नेता पर ही दाव खेलेगी।
– तेजवानी गिरधर
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