एक पत्र नरेंद्र मोदी जी के नाम

दुविधा में हूँ कि आपको किस तरह संबोधित करूं, ‘प्रिय’ नहीं लिख सकता कि ये खुद को धोखा देना होगा और ‘आदरणीय’ इसलिए नहीं लिखता की ये आपसे धोखा होगा. मगर उस संस्कार और उस शिक्षा का क्या करूं जो हमें अपनों से बड़ों को संबोधित करने एक तरीका बताता है. भारतीय संस्कृति में ‘जी’ शब्द आदर का प्रतीक है सो….

मोदी जी,

narendra modi visa usजबसे भाजपा ने आपको अपने रथ का सारथी बनाया है आप नित्य-नए रूप में नज़र आने लगे हैं | आपको इन्द्रधनुष बहुत पसंद है शायेद इस लिए कि आप भी रंग बदलने की कला में माहिर हैं | और सिर्फ रंग ही क्यूँ आप ने तो अपनी भेष-भूषा के बदलने में मौसम को भी मात दे दी | आप अपने भाषण में जिस तरह अपने सामने बैठे श्रोता के भावनाओं का ख्याल रखते हैं वो एक अच्छे वक्ता की पहचान हो सकती थी अगर ये निति और शैली सैंकड़ो साल पहले अपनाई जाती, क्यूंकि उस समय प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक, और सोशल मीडिया का रिवाज नहीं था , एक जगह कही गयी बातें दूसरी जगह न के बराबर पहुँचती थीं | मगर आज के दौर में एक जगह की बातें दूसरी जगह मिनटों या सेकंडों में पहुँच जाती हैं |

मेरे एक मित्र हैं जिनके पीता जी रिटायर्ड सैनिक है, उन्होंने जब सैनिकों को किया गया आपका संबोधन सुना बड़े खुश होए — कहने लगे देखो देश को ऐसे नेता की ज़रुरत है जो सैनिक बनना चाहता था | (मुझे न जाने क्यूँ बचपन में सुनी ये बात याद आगई “असफ़लता केवल यह सिद्ध करती है कि सफ़लता का प्रयत्त्न पूरे मन से नहीं हुआ|”) लेकिन उनका भ्रम जल्द टूट गया जब उन्होंने आपको पूंजीपतियों को संभोधित करते सुना, वहां तो आपका रंग कुछ और ही था, और फिर आपका रंग-रूप कुछ यूँ बदलता गया की सैनिक चाचा के विचार ही बदल गए | मैं ने मजाक में पूछ लिया की अंकल देश का प्रधानमंत्री तो ऐसा ही होना चाहए तो उन्होंने मुझे गोविंदा की फिल्म “राजाबाबू” देखना का मशवरा दे डाला |

इन दिनों आपकी विभिन भेष-भूषा की तस्वीर सोशल मीडिया में चर्चा का विषय है, जहाँ आप अलग-अलग समुदाई और अलग-अलग संस्कृति के representative नज़र आ रहे हैं —- एक अच्छे राजनेता की पहचान भी यही है की वो देश के सरे रंग-ओ-नस्ल, संस्कृति और समुदाई, मज़हब-ओ-मिळत का representative नज़र आये | लेकिन वो कहते है न की चोर कितना भी चालाक क्यूँ न हो वो कोई न कोई निशान ज़रूर छोड़ जाता है, और अंततः पकड़ा जाता है | वैसे ही आप tolorent होने का दिखावा कितना ही क्यूँ न कर लें आपके मन का चोर भी हमेशा पकड़ा जाता है | इस देश के बच्चे-बच्चे ने देखा के किस तरह आपने इस मुल्क के संविधान और स्वाभिमान से जुड़े एक अभिन्य रंग को न सिर्फ दरकिनार किया बल्कि उसका तिरस्कार भी किया | लोगों ने ये भी देखा की किस हटधर्मी और अहंकार में आपने इस मुल्क के दुसरे सबसे बड़े समुदाई की तहजीब को नकार दिया | आपने अपनी हरकत और अपनी जुबान से बार बार एक समुदाई की बेईज्ज़ती की | लोगों को ये लगता है के आप इस मुल्क के 25 करोड़ (अगर दो-चार ‘शाह्नावाज़ों और ‘नाक्वियों’ को छोड़ दे तो) लोगों के न सिर्फ जान के दुश्मन है, बल्कि आप उनके अस्तित्वा के विरोधी है | खैर, डरता हूँ की कहीं बात लम्बी न हो जाये — क्यूंकि ऐसे भी ‘बात निकलती है तो फिर दूर तलक जाती है’ | आप देश के प्रधानमन्त्री बन्ने की रेस में हैं — आप कामयाब होते हैं या नहीं ये तो समय तय करेगा, लेकिन मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ की अगर आप अपने इसी तरीक़े और सोच पे अडिग रहे तो इससे न आपके राजनैतिक भविष का भला होगा और न इस देश के भविष का | आपको जर्मनी तो याद ही होगा|

बक गया हूँ ज़ुनू में क्या-क्या कुछ
कुछ तो समझे खुदा करे कोई |

Mustejab Khan, Mumbai, [email protected]

4 thoughts on “एक पत्र नरेंद्र मोदी जी के नाम”

  1. सही कहा हे मोदी जी चाय की चर्चा में करोड़ो रूपये खर्च कर रहे हे क्यों उन पेसो से सेनिको की विराग्नावो के बचो की पड़ाई करवाए तलाक सुदा महिलाये जो अपने बचो को खूब पड़ना चाहती हे पर उनके पास पैसा नही हे उन पर लगाये तो आप की बडाई हे क्यों जनता को बेवकूफ बना रहे हे

  2. खान सहाब आपको बहुत बहुत मुबारक बाद आपने इतनी हिमत दिखाई और तेजवानी जी को भी जयहिन्द

  3. राज मान राजे श्री नरेद्र मोदीजी
    जोग लिखी जाँण जो
    भारत के मतदाता की पाती या पह्चाण जो
    तम जरुर बणोगा भारत का प्राधान मंत्री
    देश की काया पलट होई जयगी
    म्हरो तो माननों है कि गरीबी,भुखमरी,
    बैरोजगारी,भ्रस्टाचारी अपने आप छुमंतर हो जायेगी।
    जय भारत
    बालाराम परमार,सोलापुर

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