नई दिल्ली / बिहार में जारी सत्ता संघर्ष बुधवार को राष्ट्रपति के दरवाजे तक पहुंच गया। जेडीयू नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के सामने अपने समर्थक 130 विधायकों की परेड कराई। नीतीश का साथ देने के लिए आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव भी राष्ट्रपति भवन पहुंचे।
नीतीश ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति से बिहार में जारी गतिरोध खत्म करने के लिए राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी को निर्देश देने की गुजारिश की। उन्होंने कहा कि जीतन राम मांझी अगर बहुमत ही साबित करना चाहते हैं, तो उन्हें न्यूनतम समय दिया जाए। उन्होंने राज्यपाल पर पिछले तीन दिनों से मामले को लटकाए रखने का आरोप लगाया। नीतीश ने कहा कि राष्ट्रपति ने उन्हें इस मामले को देखने का आश्वासन दिया है। इससे पहले बुधवार शाम को नीतीश समर्थक 130 विधायकों को दो बसों से राष्ट्रपति भवन लाया गया। इन विधायकों में जेडीयू के साथ ही आरजेडी और कांग्रेस के विधायक भी शामिल थे।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर नीतीश यह साबित करना चाहते थे कि उन्हें विधानसभा में बहुमत हासिल है। बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की बगावत के बाद जेडीयू ने नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुना था। इसके बाद मांझी को पार्टी से निकाल दिया गया था।
हालांकि बुधवार को हाई कोर्ट ने जीतन राम मांझी के मुख्यमंत्री रहते हुए नीतीश को पार्टी विधायक दल का नेता चुने जाने को अवैध बताते हुए इस पर रोक लगा दी। साथ ही कोर्ट ने इसे राजनीतिक मामला बताते हुए राज्यपाल के निर्णय आने तक इंतजार की बात भी कही है।
इस मामले में अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी। लेकिन, बिहार विधानसभा के स्पीकर उदय नारायण चौधरी ने नीतीश को विधायक दल को नेता चुने जाने को सही बताया है।
इससे पहले. नीतीश कुमार मंगलवार को समर्थक विधायकों के साथ दो चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली पहुंचे। दिल्ली रवाना होने से पहले पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से नीतीश ने कहा, ‘राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किए 24 घंटे से ज्यादा का समय गुजर गया लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। राज्यपाल का विलंब माहौल प्रदूषित करता है। अब विधायक राष्ट्रपति के पास जा रहे हैं।’