रसोई से सम्बंधित वास्तु के वैज्ञानिक तथ्य

शैलेन्द्र माथुर
शैलेन्द्र माथुर
किसी भी वास्तु में रसोई जीवनदायनी होती है।वास्तु में रसोई को सही स्थान पर स्थापित करना अनिवार्य होता है।रसोई आग्नेय हिस्से में एवं वायु प्रवाह दायक होनी चाहिए।दक्षिण-पूर्व के क्षेत्र को आग्नेय कोना कहा जाता है,अग्नि तत्त्व ही भोजन को पकाता है। हमारे शरीर में अग्नि तत्व ही भोजन को पचाता है जिससे जीवनदायनी रसायनों का निर्माण होता है।अग्नि प्रज्वलन पर कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस बनती है साथ ही साथ नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड और सल्फ़र डाई ऑक्साइड आदि गैसें पैदा होती है,यदि रसोई में वायु प्रवाह उचित नहीं है तो ये गैसें वातावरण में फ़ैल कर सांसों के साथ शरीर में प्रवेश करेंगी।अतः रसोई घर में उचित रोशन दान/खिड़की आदि का होना आवश्यक है।वर्तमान युग में चिमनी का चलन है जो उचित है,परंतु चिमनी की सफाई/रखरखाव समय समय पर कराते रहना चाहिए। इसी प्रकार रसोई गैस स्टोव बर्नर की भी सफाई/अनुरक्षण समयानुसार कराते रहना चाहिए।
पूर्व से आने वाली सूर्य की किरणें रसोई में हानिकारक जीवाणुओं को पैदा नहीं होने देती जिससे हमारी खाद्य सामग्री सुरक्षित रहती है।वास्तु के आग्नेय हिस्से में यदि रसोई है तो आधुनिकता के युग में जल सुविधा युक्तियां रसोई के ईशान्य हिस्से में स्थापित करनी चाहिए,सिंक रसोई के उत्तर-पश्चिम हिस्से में उपयुक्त रहता है।यदि किसी रसोई में पानी का घड़ा या टंकी रखते है तो वहां आद्रता बनी रहती है और ऐसे स्थान पर वायु घनत्व बढ़ जाता है। रसोई में शरीर के लिए ये आद्र वायु हानि कारक साबित हो सकती है।अतः रसोई में चूल्हा व पानी दूर होने जरूरी है।रसोई की ओवर हेड पानी की टंकी को भी आग्नेय हिस्से में नहीं रखना चाहिए अक्सर लोग रसोई की छत पर ही टंकी स्थापित कर देते है जो गलत है।

–शैलेन्द्र माथुर,अजमेर।

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