प्रजातंत्र (लोकतंत्र) और गणतन्त्र एवं भारतीय सविंधान पार्ट 2

dr. j k garg
रूस और चीन जैसे देशों में संविधान तो सर्वोपरि है किन्तु वे एकल पार्टी द्वारा शासित राज्य हैं अतः रूस चीन गणतंत्र तो हैं किन्तु प्रजातंत्र नहीं। गणतंत्र में निर्वाचित सरकार के अधिकार हमेशा संविधान की सीमाओं में बंधे होते हैं। नागरिकों की स्वीकृति से संविधान को अपनाया जाता है और इसे केवल जनता के प्रतिनिधियों द्वारा विभिन्न नियमों के तहत संशोधित किया जा सकता है। संविधान के तीन प्रमुख अंग कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका होती है जिन्हें शक्ति संविधान देता है। ये तीनों यानि कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका एक दूसरे से स्वतन्त्र होते हैं तथा एक दूसरे के कार्यों या शक्तियों में हस्तक्षेप नहीं करते।
बहुमत का शासन बहुसंख्यक के शासन में न बदल जाये इसलिए हमारे संविधान निर्माताओं ने भारत में प्रजातंत्र के थोड़े पर कतरे हैं जिसके फलस्वरूप और हमारे देश में बहुमत को नहीं अपितु संविधान को सर्वोपरि बनाया गया। गणतंत्र में बहुसंख्यक, केवल बहुमत के आधार पर किसी व्यक्ति, समाज या अल्पसंख्यक समुदाय के मूलभूत अधिकारों के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते। प्रजातंत्र में बहुमत निरंकुश और सर्वशक्तिमान होता है। बहुमत के विरुद्ध अल्पमत को कोई संरक्षण नहीं होता। इसी आशंका के चलते हमारे संविधान में मूलभूत अधिकारों को शामिल किया गया है और इन मूलभूत अधिकारों की सीमा के बाहर से प्रजातंत्र की शुरुआत होती है।

डा. जे. के.गर्ग

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