इस जहाँ में कोई तो हमारा होता

इस जहाँ में कोई तो हमारा होता गर तेरी यादों का सहारा होता न डूबती कश्तियाँ इस क़दर बेसुध पास गर तुझसा कोई किनारा होता गुज़र गया जो गुज़ारना था मधुकर वेरना आज कुछ और ही नजारा होता इस जहाँ में कोई तो हमारा होता इस जहाँ में कोई तो हमारा होता … -नरेश मधुकर

ज्योति मिर्धा का कितना स्वागत करेगा नागौर!

नागौर के राजनीति में हमेशा एक  राजनीतिक समूह स्थापित राजनीतिक सिद्धांतों के प्रतिकूल रहा है।  नाथूराम जी मिर्धा ने अपने राजनीतिक अवधि के जादातर वक़्त कांग्रेस के विरोध में निकाला। श्री रिच्पल मिर्धा कई बार कांग्रेस से अंदर-बाहर हो चुके है। श्री रिच्पल मिर्धा ने कई चुनाव कांग्रेस के खिलाफ लड़े है जैसे की जिला परिषद, विधान … Read more

पुष्कर में तैंतीस करोड़ देवी-देवता

पद्म पुराण के अनुसार कार्तिक एकादशी से पूर्णिमा तक सभी तैंतीस करोड़ देवी देवता पुष्कर में ही निवास करते हैं और यहां के पांच दिन के स्नान को पंचतीर्थ स्नान कहा जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन पुष्कर की पवित्र धरती पर आना ही सौभाग्य माना जाता है। वेद पुराणों में कहा गया है कि-पर्वतानां … Read more

दिल बैरागी , दिल बैरागी

दिल बैरागी , दिल बैरागी दिल बैरागी ,दिल बैरागी … २ जिस दिन से तू छोड़ गया है अरमान सारे तोड़ गया है ढूडे नदिया ढूंढे किनारा तू ही मंजिल तू ही सहारा हसरत रात भर जागी दिल बैरागी, दिल बैरागी दिल बैरागी, दिल बैरागी … २ इस दर भटका ,उस दर भटका कौन है … Read more

सांसारिक सुख-समृद्धि के लिए करिये गोवर्धन पूजा

-संजय बिन्नाणी- जैसे-जैसे दीपावली के दिन नजदीक आ रहे हैं, मेरे अन्तर में लोक-कवि हरीश भादानी के स्वर गूँज रहे हैं- ”काल का हुआ इशारा लोग हो गए गोरधन जै-जै गोरधन… जै-जै गोरधन…’’ वास्तव में, ”अपने दीपक स्वयं बनो ’’- इस संदेश के साथ-साथ सुनहरे प्रकाश से जगमगाते दीयों की रातें लेकर आती हैं ढेर … Read more

जीवनमूल्यों की पुनर्स्थापना का महा-पर्व दीपावली

-संजय कपिलगोत्री- हमारी संस्कृति का मूलस्वर है ”सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:।’’ आलोक पर्व दीपावली में हम इस शुभकामना को साकार होते देख सकते हैं। कार्तिकी अमावस की काली रात, जब झिलमिलाते हैं माटी के दिए, घर-आँगन में, गाँव-गली, नगर-डगर में तो वह महानिशा दीपावली बन जाती है। हम अपनी सामूहिकता से उस अमावस्या … Read more

श्रम की ऋद्धि-सिद्धि का पर्व है दीपावली

सामाजिक सौहार्द्र व सामाजिक संरचना से जुड़े निर्माण कार्यों में त्योहार अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। त्योहारों के माध्यम से धर्म और जीवन मूल्यों की रक्षा होती है, संस्कारों का विकास होता है। अपनी धार्मिक परंपराओं में तमाम वैज्ञानिक व सांस्कृतिक कारण शामिल हैं। दीपावली मुख्यत: आधिभौतिक, आधिदैविक, आध्यात्मिक, तीनों रूपों का समागम करने वाला … Read more

म्हारो गांव, डूबी नाव

ओ बोटा रो बटवारो ,खाग्यो म्हारा गाव ने , लड़ पड़िया बाटण लाग्या ,एक रुख री छाव ने , बोती बगत बवलीया बाया ,आंबा किकर देत रे , तणकारीया टूटेला तार ,चेत मानखा चेत रे , गाव रे माही राजनीती रो ,एडो लाग्यो चालों , घर घर में ही मानड लियो ,ऐ मिनख बावला पालो … Read more

सुल्तान हूँ मैं….

देख कर मंज़र बहुत हैरान हूँ मैं कुछ परिंदो मे बची अब जान हूँ मैं होगा कैसे अब मिलन मेरा तुम्हारा तुम कठिन हो और बहुत आसान हूँ मैं वक़्त का इस से भी ज़्यादा अब करम क्या हर तरफ है भीड़ और वीरान हूँ मैं धारा मे दुनिया की बहकर रंग बदलना अगर है … Read more

क्या अपराधी होंगे हमारे नायक?

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी द्वारा  स्वामी विवेकानंद की तुलना दाऊद इब्राहिम से करना उनका निजी विचार है या पार्टी भी इससे सहमत है यह कहना तो मुश्किल है भ्रष्टाचार के आरोपों की मार झेल रहे गडकरी  ने ऐसा विवादास्पद बयान  देकर जहां एक ओर पार्टी के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है वहीं कांग्रेस … Read more

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