कितना सुरक्षित है रेलों का सफर, सुरक्षा पर उठते सवाल

हिजडों,अवैध खाद्य्य सामग्री विके्रता,अनाधिकृतों की धमाचौकडी 
रेल यात्रियों की परेशानी से नहीं किसी को सरोकार
railwaysDSC04875-डा. एल. एन. वैष्णव- भोपाल / भले ही रेल यात्रियों की सुरक्षा एवं उनको सुविधा प्रदान करने का दम रेल प्रशासन भरता हो परन्तु जमीनी हकीकत ठीक इससे विपरीत दिखलायी देती है। मामला चाहे सुरक्षा से जुडा हो या फिर आरक्षित डिब्बों में प्रवेश का हो या फिर भीख मांगने एवं जबरन वसूली का हो सभी मामलों से जूझते यात्रियों को आये दिन देखा जा सकता है। जबकि जिनके कंधों पर इसको देखने एवं खलल पैदा करने वालों के विरूद्ध कार्यवाही की जिम्मेदारी है उनकी भूमिका कहां और कितनी होती है सर्व विदित है। यह बात अलग है कि रेल विभाग द्वारा स्टेशन परिसर में घोषणाओं के माध्यम से इस संबध में जानकारी दी जाती हो ? भले ही बेनर पोस्टरों का सहारा लेकर नियम कानूनों की जानकारी आमजन को प्रदान की जाती हो परन्तु यात्रियों की परेशानियों की चिंता कितनी संबधित अधिकारी कर्मचारियों को रहती है पर प्रश्न उपज रहे हैं। शायद ही एैसी कोई यात्री गाडी हो जिसमें हिजडों का आतंक न होता हो ? इनके द्वारा एक दो नहीं अपितु प्रति यात्री दस रूपये से पचास रूपये तक की अवैध वसूली की जाती है वह भी जनरल बोगियों के साथ ही आरक्षित बोगियों में भी? विरोध करने वाले यात्रियों को किस कदर जलील किया जाता है वह भी किसी से छिपा नहीं है । इसी क्रम में आरक्षित बोगियों में लगातार दबंगता से अन्य यात्रियों का प्रवेश के बारे में कौन नहीं जानता ? बात करें खाद्य्य वस्तुओं के विक्रय के संबध में तो लगातार अनाधिकृत खाद्य्य वस्तुओं के विक्रेता प्रवेश कर व्यापार करते देखे जा सकते हैं। इनको कितना सहयोग संबधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों का होता है वह भी किसी से छिपा नहीं है। मामला कहीं से भी जुडा क्यों न हो विशेषकर भोपाल से चारों ओर जाने वाली गाडियां,इंदौर,जबलपुर,बीना दमोह कटनी मार्ग पर उक्त समस्या से जुझतें यात्री एवं लापरवाह तथा उक्त कार्य को अंजाम देने वालों को संमरक्षण देते संबधित देखे जा सकते हैं ?

डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव
डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव

ज्ञात हो कि रेल विभाग द्वारा विभिन्न निमय कानूनों का उल्लेख किया गया है जिसके तहत् दोंषियों को सजा के प्रावधान बतलाये गये है। प्राप्त जानकारी के अनुसार धारा 144 एक 144 दो फेरी एवं भीख मांगने वालों के लिये है जिसमें एक बर्ष का कारावास तथा दो हजार रूपये जुर्माना तथा दोनो होने का उल्लेख किया गया है। धारा 147 में अनाधिकार प्रवेश या उससे हटने से इंकार करने पर प्रयोग की जाती है जिसमें 6 माह का कारावास या एक हजार रूपये जुर्माना या दोनो का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही रेल अधिनियम एवं भारतीय दण्ड संहिता के तहत रेल्वे में नियमों का उलंघन करने वालों को दण्डित करने का प्रावधान दिया गया है।
वीडियो क्लिपिंग देखने के लिए यह लिंक क्लिक कीजिए
http://youtu.be/RKrZbtbPbno

1 thought on “कितना सुरक्षित है रेलों का सफर, सुरक्षा पर उठते सवाल”

  1. फिर भी हमारे रेल प्रशासन को खुद पर बड़ा नाज है

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