राती जगा क्यूँ देते हैं?

भौतिक विज्ञान के नियमों पर ध्यान दें तो ऊर्जा अपना स्वरुप बदल सकती है, पदार्थ अपने रंग रूप बदल सकते हैं लेकिन कभी नष्ट नहीं होते. ऊर्जा निरंतर किसी न किसी माध्यम में, किसी न किसी रूप में बहती रहती है. कल रात को घर में राती जगा था जो पितरों को समर्पित था. वैसे … Read more

क्रांतिकारी बदलाव

बैलगाड़ी से जाते हुये उन्होंने मेरे दादा से गांव की ही बोली में पूछी थी उनकी “जात” उन्होंने विनीत भाव से बता दी. वे नाराज हुये और चले गये उतार कर गाड़ी से उनको दादा ने इसको अपनी नियती माना. फिर एक दिन रेलयात्रा के दौरान उन्होंने मीठे स्वर में खड़ी बोली में जाननी चाही … Read more

कुछ समकालीन कविताएं

(1) विचाराधीन या बेचारा अधीन ? ——– इस बार भी हुआ जेल ब्रेक / भागे कैदी पर उन्हें महज कैदी कहा गया. दाढ़ी थी इनके भी, उनसे थोड़ी लम्बी भी मगर नहीं कहे गये, इस बार ये आतंकी. थोड़े सांस्कृतिक राष्ट्रवादी टाईप के थे. इसलिये पकड़ लिये गये जिन्दा वर्ना मारे जाते भोपालवालों की तरह. … Read more

लालची एवं लोभी स्वयं को ही ठगता है

-गणि राजेन्द्र विजय – लोभ-लालच से आच्छादित मन, मृग-मरीचिका में भटकता रहता है एवं पर को ही नहीं स्वयं को ठगता है, धोखा देेने के चक्कर में स्वयं धोखा खाता है। दूसरों को छलने से स्वयं की आत्मा में छाले पड़ जाते हैं और वे रिसते रहते हैं, वे दन्त की रीस देते रहते हैं। … Read more

ये आपातकाल नहीं तो क्या है ?

मैं केंद्रीय सरकार का एक सेवा निवृत कर्मचारी हूँ , मेरी पेंशन स्टेट बैंक के द्वारा मिलती है जिसमे से 8 हजार रुपये में अपने पोते पोतियों के चिल्ड्रन ग्रोथ फण्ड में जमा करता हूँ और 10 हजार रुपया अपने घर खर्च के लिए पत्नी को दे देता हूँ ? चूँकि नोट बंदी के कारण … Read more

अगर बदलाव लाना है तो कानून नहीं सोच बदलनी होगी

नोट बंदी के फैसले को एक पखवाड़े से ऊपर का समय बीत गया है बैंकों की लाइनें छोटी होती जा रही हैं और देश कुछ कुछ संभलने लगा है। जैसा कि होता है , कुछ लोग फैसले के समर्थन में हैं तो कुछ इसके विरोध में स्वाभाविक भी है किन्तु समर्थन अथवा विरोध तर्कसंगत हो … Read more

​समय की रेत, घटनाओं के हवा महल …

बचपन में टेलीविजन के प र्दे पर देखे गए दो रोमांचक दृश्य भूलाए नहीं भूलते। पहला क्रेकिट का एक्शन रिप्ले और दूसरा पौराणिक दृश्यों में तीरों का टकराव। एक्शन रिप्ले का तो ऐसा होता था कि क्रिकेट की मामूली समझ रखने वाला भी उन दृश्यों को देख कर खासा रोमांचित हो जाता था। जिसे चंद … Read more

भ्रष्टाचार आखिर मिटेगा कैसे?

मोदी जी, आज हर कोई भ्रष्टाचार से परेशान है, और कई इसमें लिप्त हैं! इस भ्रष्टाचार के इतने सारे भिन्न भिन्न रूप हैं – कुछ लुभावने तो कुछ डरावने !– ये आखिर मिटेगा कैसे? काला धन और भ्रष्टाचार एक दूसरे के पूरक जरूर हैं लेकिन पर्यायवाची तो कतई भी नहीं हैं. भ्रष्टाचार में काला धन … Read more

मुंशिया के पापा

दो औरतें आपस में अपने घर के सामने खड़ी होकर बतिया रही थीं। शाम को धुंधलका था- शक्ल तो नहीं देख सका अलबत्ता उनके मुख उच्चारण उपरान्त निकले शब्दों का श्रवण स्वान सदृश तीव्र कर्णों से किया था। बड़ा आनन्द आया। मुझे लगा कि इनसे बड़ा कोई आलोचक नहीं हो सकता। वह क्या कह रही … Read more

विदेष से अच्छा स्वदेष

इंजीनियर साहब मालगुजार साहब के एकलौते पुत्र थे। उनके पिताश्री अंगरेजों के जमाने के मालगुजार थे सो धन की कोई कमी नहीं थी। बहुत माल गुजरने के बाद भी जो बचा था वो सात पीढ़ियों तक काम आवे। फिर भी दोस्तांे की देखा देखी ने उन्हे विदेशी नौकरी करने की प्रेरणा दी और वे अपने … Read more

एक हाथ से दिया गया दान हज़ारों हाथों से लौट कर आता है

जो हम देते हैं वो ही हम पाते हैं दान के विषय में हम सभी जानते हैं। दान , अर्थात देने का भाव , अर्पण करने की निष्काम भावना । हिन्दू धर्म में दान चार प्रकार के बताए गए हैं , अन्न दान ,औषध दान , ज्ञान दान एवं अभयदान एवं आधुनिक परिप्रेक्ष्य में अंगदान … Read more

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