एक नदी …..
एक नदी ….. उमड़ती घुमड़ती सी तेज़ धारा संग बहती कलकल का शोर मचाती आ पहुँची अचानक एक समतल ज़मी पर मंद हो गई चाल उसकी ना शोर, ना कोई आवाज़ बस बहने की प्रक्रिया निरंतर है जारी क्या ज़मी का समतल होना है उदासीनता का परिणाम या फिर ये नियति थी … Read more