वसुंधरा राजे: अबूझ पहेली

वसुंधरा राजे एक अबूझ पहेली बनी हुई है। वे इन दिनों क्या सोच रही हैं? उनकी गतिविधियां कैसी हैं? उनकी आगे की रणनीति क्या है? क्या उनकी चुप्पी तूफान से पहले की षांति है? क्या वे जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिये उक्ति की पालना करते हुए तटस्थ हैं? क्या उन्होंने हालात के साथ … Read more

वही अयोध्या जाएंगे, जिन्हें रामजी बुलाएंगे

इन दिनों अजमेर में ख्वाजा साहब का उर्स चल रहा है। इसके लिए कई खादिम ख्वाजा साहब को चाहने वालों को उर्स में आने का औपचारिक निमत्रण भेजते हैं। बावजूद इसके जायरीन आएंगे या नहीं, इसके बारे में यही कहा जाता है कि वही अजमेर आते हैं, जिन्हें ख्वाजा बुलाते हैं। यकायक ख्याल आया कि … Read more

मुख्यमंत्री के नाम पर कोरी टोरेबाजी

एक भी चुनावी पंडित ऐसा नहीं है, जो यह नहीं कहता हो राजस्थान के मुख्यमंत्री का नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन में है, वे जिसे चाहेंगे, उसे बना देंगे। बावजूद इसके सभी विष्लेशक पिछले छह दिन से टोरेबाजी करने से बाज नहीं आ रहे। एक भी खोजी पत्रकार ऐसा नहीं है, जिसने मोदी व … Read more

न्याय व्यवस्था पर एक सवाल

दोस्तों, आज एक सवाल, जो जनचर्चा में है। निचली अदालत के फैसले को जब सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह से गलत ठहरा देता है तो प्राथमिक स्तर पर कडा फैसला करने वाले को क्या आर्थिक या अन्य किस्म का दंड देने वाले का प्रावधान नहीं होना चाहिए, क्योंकि उसके फैसले से खामियाजा भुगतने वाले ने जो … Read more

लो अब सीमा को चुनाव भी लडवाया जा रहा है

हम दुनिया में वाकई अजीबोगरीब लोकतांत्रिक लोग हैं। जिसके अवैध रूप से भारत में आ जाने की जांच चल रही है, जिसके फर्जी आधार कार्ड बनाने के मामले में दो जने गिरफ्तार किए जा चुके हैं। जिसको भारत की नागरिकता मिलना तो अभी बहुत दूर की बात है, उसे हम फिल्म में हीरोइन बनाने की … Read more

प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की स्कूलिंग में बहुत फर्क है

प्रिंट और इलैक्टोनिक मीडिया की कार्यप्रणाली व सोच में कितना अंतर है, भाशा की मर्यादा में कितना फर्क है, इसका अंदाजा आप वरिश्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग, एन के सिंह, अनिल लोढा जैसे प्रिंट बेस्ड पत्रकारों के विष्लेशण को सुन कर कर सकते हैं। वे कितना संतुलित बोलते हैं। निश्पक्ष बने रहने का पूरा ख्याल रखते … Read more

सीमा हैदर को लेकर अनाप शनाप बकवास

प्रिंट और इलैक्टॉनिक मीडिया में यूं तो मौलिक रूप से बहुत फर्क है, मगर षीर्शक के मामले में और भारी अंतर है। प्रिंट में कंटैंट का कम से कम षब्दों में सटीक हैडिंग लगाने की परंपरा रही है। हालांकि अब स्टाइलिष हैडिग भी लगाए जाने लगे हैं, मगर टीवी चैनल और यूट्यूब वीडियो में हैडिेग … Read more

राजस्थान में कोचिंग संस्थान के छात्र छात्राओं की आत्महत्याऐ और राजनीतिक दल और मीडिया का मौन

आखिर कब तक होती रहेगी आत्महत्याएं ? आज 9 फरवरी को फिर अखबारों में खबर आई कि शिक्षा नगरी कोटा के ऐलन कोचिंग सेंटर की छात्रा ने चोथी मंजिल की छत से कूद कर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या का दस दिन में यह तीसरा मामला है। आखिर कब तक ऐसा होता रहेगा ? अच्छी तथा … Read more

अमृत की राह में बड़ा रोड़ा है भ्रष्टाचार

नरेन्द्र मोदी शासन के जिम्मेदारी भरे बजट-2023 ने समावेशी आर्थिक समृद्धि और वैश्विक महत्वाकांक्षा के साथ उस ‘नए भारत’ की नींव रखी है, जो अपनी स्वाधीनता के सौवें वर्ष में साकार होगा। यह बजट ‘अमृत काल’ को सबसे अच्छे ढंग से रेखांकित करता है। निश्चित ही सरकार की नजर अमृतकाल पर है। उसी दृष्टि से … Read more

सामाजिक ताने- बाने को कमजोर करती जातिगत कट्टरता

राजनीतिक लाभ के लिए जातिगत ध्रुवीकरण के अलावा उपरोक्त मांग के पीछे कुछ कारक सक्रिय नजर आते हैं। इस परिदृश्य में, यह कहना गलत नहीं होगा कि सामाजिक आर्थिक समानता लाने के उद्देश्य से की गई सकारात्मक कार्रवाई सत्ता हथियाने के एक उपकरण के रूप में अधिक हो गई है। जाति ने लोकतांत्रिक राजनीति के … Read more

यूपी में उभर रही है त्रिकोणीय मुकाबले की तस्वीर

सपा-बसपा के आमने-सामने आने से भाजपा झूमी संजय सक्सेना,लखनऊ / अगले वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश की सियासत काफी तेजी से ‘रंग’ बदल रही है। कुछ पुराने मुद्दों और विवादित बयानों को नई ‘धार’ दी जा रही है तो आरक्षण, जातिगत जनगणना, रामचरित मानस विवाद वोट बटोरने के नये … Read more

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