*मेवाड़ी सरदार*
महाराणा प्रताप सो , हुयो न कोई वीर । सपना म्ह जद-जद दिख्यो, अकबर हुयो अधीर । आज़ादी मेवाड़ री , होसी जद साकार । सुख सैजां सोऊँ जणा, त्याग दियो घर-बार । छोड्या छप्पन भोग सै , घास बणी आहार । सेना ने एकट करी , मेवाड़ी सरदार । चेतक पर आसीन हो , … Read more