*मेवाड़ी सरदार*

महाराणा प्रताप सो , हुयो न कोई वीर । सपना म्ह जद-जद दिख्यो, अकबर हुयो अधीर । आज़ादी मेवाड़ री , होसी जद साकार । सुख सैजां सोऊँ जणा, त्याग दियो घर-बार । छोड्या छप्पन भोग सै , घास बणी आहार । सेना ने एकट करी , मेवाड़ी सरदार । चेतक पर आसीन हो , … Read more

हर कोई घर जाना चाहता है, सरकार इसके लिये आसान तरीका अपनाए

लाॅकडाउन करना मानवता के लिये अतिआवश्यक था सो हो चुका। अचानक हुऐ लाॅकडाउन से जो जहां था वहां ठहर गया, इस भरोसे की 21 दिन बाद 14 अप्रैल को घर जाने का रास्ता खुल जायेगा। लेकिन 3 मई तक के दूसरे चरण के लाॅकडाउन ने अपने घर से दूर फंसे लोगों की बेचैनी बढ़ा दी, … Read more

*गुरु की आशीष फलीभूत होती है*

✍ बाहर बारिश हो रही थी, और अन्दर क्लास चल रही थी. तभी टीचर ने बच्चों से पूछा – अगर तुम सभी को 100-100 रुपया दिए जाए तो तुम सब क्या क्या खरीदोगे ? किसी ने कहा – मैं वीडियो गेम खरीदुंगा.. किसी ने कहा – मैं क्रिकेट का बेट खरीदुंगा.. किसी ने कहा – … Read more

‘अ साहब’

हास्य-व्यंग्य ‘अ’ साहब का वास्तविक नाम क्या था यह बात बहुतही कम लोगों को पता थी. उनके बचपन के सहपाठी तो खैर यह सब जानते थे क्योंकि उन्होंने ही ‘अ’ साहब को इस उपाधि से सुषोभित किया था बाकी लोगों को इस बारें में कम ही पता था. चूंकि वह हरबार बोलने से पहले ‘अ-अ-अ … Read more

*असमंजस*

मन ही मन उठते प्रश्नों पर , मन ने प्रश्न लगाया । उत्तर क्यों चाहता औरों से , तुमने इन्हें उठाया । अब तुमको ही देना है अपने प्रश्नों के उत्तर । सोच रहा है मन, मन ही मन, क्या दूँ मैं प्रत्युत्तर ? – *नटवर पारीक*, डीडवाना

*प्रश्न*

भीतर ढेरों प्रश्न पड़े हैं , उनको बाहर आने दो । ख़ुद से सुलझे नहीं यदि तो , कुछ मुझको सुलझाने दो । शायद कोई हल मिल जाए , तेरे- मेरे मिलने से । इतना बोझ लिए फिरते हो , थोड़ा मुझे उठाने दो । – *नटवर पारीक*, डीडवाना

गुण-धर्म

दियासलाई आग लगाती , पानी आग बुझाए । दोनों के गुण-धर्म अलग है , किसको बड़ा बताएं ? आग लगाना अच्छा होता , या फिर आग बुझाना । प्रश्न खड़ा है आज सामने , निर्णय कर बतलाना । – *नटवर पारीक*, डीडवाना

मेरी अभिलाषा

हर दिल में नई उमंगे जागे , मिलजुल कर , हम खुशियां बांटे । अशांति के सब बादल छंट जाएं , घर-घर खुशी के दीप जले ।। हम आगे बढ़ते रहें जीवन में , स्नेह शांति के सुमन खिले । कामयाबी की छू ले बुलंदी , खुशियां हमें अपार मिले । भारतवासी सब रहे चैन … Read more

*जीवन*

धूप-छाँव का खेल खेलते , बहता जाता जीवन । कभी किसी से रिश्ते जुड़ते , कभी किसी से अनबन । एक दिवस हँसता-गाता तो , दूजा दिन दुखदायी । कभी विरह के क्षण आते तो , कभी बजे शहनाई । एक घड़ी ऐसी आती है , आमंत्रण आ जाता । खाली हाथ दिखाकर हमको , … Read more

महामारी का अंधड़

महामारी का अंधड़ एक मे बाद एक जिंदगी लीलता हुआ हमारी ओर आ रहा है हम अपने अपने दड़बों, बंकरों गुफाओं में छुपे बैठे उसके गुजर जाने का इंतजार कर रहे हैं दरवाजे कस कर बंद कर रखे हैं आस पास बिलखती आह भी इसमें घुस नही सकती क्या सचमुच हम डर रहे हैं या … Read more

ये भारत है

ये भारत है सीधा है सच्चा है कुछ कर गुजरने का जज्बा है जितना है वो काफी है,जो है वो ही पर्याप्त है संकट कोई भी या वक्त कैसा भी जब सामने आए हमारे जज्बे से न लड़ पाए ये भारत है जिसके लिए ह्रदय भावनाओं से ओतप्रोत हो जाता है लेकिन जिसकी व्याख्या के … Read more

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