*विचार – प्रवाह*

“पगड़ी” सिर पर बांधा जाने वाला परिधान या पहनावा है । इसकी शुरुआत मौसम की मार से सिर को बचाने के रूप में हुई होगी , धीरे – धीरे सामाजिक परम्परा के साथ – साथ यह आन – बान और सम्मान की प्रतीक बन गई । शिकागो ( अमेरिका ) में आयोजित धर्म – सम्मेलन … Read more

संकट की घड़ी

माला हाथ की हो या गले की दोनों की ही गरिमा महती है ज्ञानी – ध्यानी के हाथ और गले में ही शोभा देती है । अब ये लोग है ही कहाँ ? बगुला भगत ही पसरे हैं यहाँ – वहाँ । मालाएँ इन्हीं के कब्ज़े में पड़ी है आज हर भले आदमी और वस्तु … Read more

*कबाड़*

कबाड़ घर में हो या मस्तिष्क में निकाल देना ही ठीक है बड़े – बुजुर्गों की यही सीख है । कबाड़ रोक देता है हमारी गति- प्रगति भ्रमित कर देता है मानव – मति मानसिक तनाव बढ़ाता है दरिद्रता लाता है । अनुभव की कसौटी पर कसी हुई सीख है कबाड़ नकारात्मकता का प्रतीक है … Read more

*विचार – प्रवाह*

किसी विचारक ने लिखा है “विश्व के विस्तृत युध्द क्षेत्र में तुम एक बेजुबान गूँगे पशु की भाँति न हो जिसे जहाँ चाहे हाँका जा सके वरन इस युध्द में तुम एक वीर की भाँति लड़ो । बिना कठिनाइयों से लड़े , बिना उन्हें जीते , छुटकारा कहाँ ? ये कठिनाईयाँ , ये ठोकरें हमारी … Read more

क्या मुस्लिम महिलाएँ और बच्चे अब विपक्ष का नया हथियार हैं?

सीएए को कानून बने एक माह से ऊपर हो चुका है लेकिन विपक्ष द्वारा इसका विरोध अनवरत जारी है। बल्कि गुजरते समय के साथ विपक्ष का यह विरोध “विरोध” की सीमाओं को लांघ कर हताशा और निराशा से होता हुआ अब विद्रोह का रूप अख्तियार कर चुका है। शाहीन बाग का धरना इसी बात का … Read more

संघ को मानवता की दृष्टि से समझे

दक्षिण दिल्ली के जसोला में डॉ. हेडगेवार स्मारक न्यास एवं भगवान महावीर रिलीफ फाउंडेशन ट्रस्ट के संयुक्त प्रयासों से प्रारंभ हुए मेडी-डायलिसिस सेंटर का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक श्री मोहन भागवत ने भारत की समृद्ध संस्कृति एवं आध्यात्मिक जीवन शैली से न केवल नया भारत बल्कि दुनिया को उन्नत … Read more

*विचार – प्रवाह*

किसान खेत खलिहान में रात – दिन पसीना बहाकर जिसे उपजाता है , एक पिता अपने मेहनत की कमाई से जिसे खरीदकर लाता है और माँ, बहिन अथवा पत्नी जिसे तैयार करके हमारे खाने योग्य बनाती है उस अन्न को थाली में जूठा छोड़कर इतने लोगों का अनादर करने वाला प्राणी तो महा कृतघ्न ही … Read more

दिल्ली को एक अर्जुन चाहिए

दिल्ली में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है और चुनावी सरगर्मियां गरमा रही है। इन चुनावों में भाजपा, कांग्रेस एवं आप के बीच संघर्ष होता हुआ दिखाई दे रहा है, दिल्ली के लोग वर्तमान नेतृत्व का विकल्प खोज रहे हंै जो सुशासन दे सके, विकास की अवरूद्ध स्थितियों के बीच कोई आश्वासन बने एवं … Read more

*पंछी और पतंग*

मरते हुए पंछी ने व्यथित होकर पतंग से पूछा बहिन ! मैंने तेरा क्या बिगाड़ा है, अपनी डोर में उलझाकर मुझे क्यों मारा है ? मैं तो वैसे ही डरा – डरा था इंसानी क्रूरता से अधमरा था । दूषित वातावरण में जीता था ज़हरीला दाना खाकर नदी-नालों का गंदा पानी पीता था । तुम … Read more

*परिवर्तन*

आजकल श्वान भौंकते हैं काटते नहीं हैं बस सूंघते हैं चाटते नहीं हैं । विषय बोध का है गहरे शोध का है । समय के साथ परिवर्तन लाज़मी है पर इसकी जड़ में आदमी है । किसी को काटकर या चाटकर कोई श्वान मर गया होगा इसीलिए हर श्वान शायद डर गया होगा । – … Read more

किस तरह सक्रांति पर सूर्य और शनि को करे प्रसन्न?

स्कंदपुराण के काशीखंड में प्रचलित एक कथा के अनुसार – राजा दक्ष की कन्या संज्ञा का विवाह सूर्यदेव के साथ हुआ था। भगवान सूर्यदेव का तेज बहुत अधिक था जिसे लेकर संज्ञा सदैव परेशान रहती थी। सूर्य देव और संज्ञा की तीन संतान वैवस्वत मनु, यमराज और यमुना तीन संतान हुईं। लेकिन संज्ञा अब भी … Read more

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