*विचार – प्रवाह*

जीवन की खुशी हमारी दशा पर नहीं अपितु हमारी मनोदशा पर निर्भर करती है । मनोदशा यानि मन की प्रवृति । जैसी हमारी मन की प्रवृति होगी वैसी ही हमारी मनोदशा होगी । किसी भी घटना , दुर्घटना या बात को सहज में लो तो जिंदगी चलती रहेगी और उसे पकड़कर बैठ जाओ तो जिंदगी … Read more

*विचार -प्रवाह*

लगता है तबियत और पत्नी में काफ़ी अंतर्संबंध है । दोनों की ही प्रकृति एक जैसी । ख़ुश रहे तब तक खुश और बिगड़ जाए तो बवंडर । ध्यान रखो तो घर में सुख शांति और लापरवाही बरतते ही कष्टों का पहाड़ । कोई एक नासाज़ हो जाए तो घर की पूरी व्यवस्थाएं बेपटरी और … Read more

*विचार प्रवाह*

अभिनय भी एक बहुत बड़ी कला है । हमें तो क़ुदरत ने ऐसी मासूम शक़्ल भी नहीं दी जो अभिनय कर सकें । एक -दो बार दाढ़ी बढ़ाकर मजनूँ बनने की कोशिश की थी पर घरवालों ने नाई बुलाकर सिर के बाल और कटवा दिए । बचपन में ग्लिसरीन की डिब्बी हाथ लग गई । … Read more

*विचार – प्रवाह*

जीने के लिए पीना जरूरी है । कुछ पेय खड़े रहकर पीना फायदेमंद है तो कुछ को बैठकर पीना । किसी पेय को सुबह – सुबह खाली पेट पीने की हिदायत दी जाती है तो कुछ को रात में सोते समय गटक लेना हितकर रहता है । कुछ पेय जीने के लिए , कुछ शौक़िया … Read more

भाव देना बंद कीजिए ओवैसी को

ये ओवैसी है कौन? कुल 2 सांसदों और 7 विधायकों की पार्टी का अध्यक्ष। फिर भी मीडिया इसे इतना भाव क्यों देता है? क्यों इसके उसके बयानों को इतना महत्व दिया जाता है,जो देश में आग लगाते है। ऐसे नेताओं का क्या मीडिया को बहिष्कार नहीं करना चाहिए ? ओवैसी की राजनीतिक हैसियत तभी तक … Read more

सरकारी नहीं .असरकारी चाहिए

एक अत्यन्त गरीब की माताजी बहुत बीमार थी।जिला अस्पताल से संभाग मुख्यालय इन्दौर के सात मंजिला अस्पताल ले जाने हेेतु कहा गया। सरकारी एम्बुलेंस माॅगी गई , जितने रुपए सी एस साहब ने बाले उसमें गीड़गीड़ाने के बाद भी एक पैसा नहीं कम किया।इधर – उधर से पैसे एकत्र कर देने के दो घंटे बाद … Read more

घूंघट गुलामी का नहीं तहज़ीब का प्रतिक

चंदन सिंह भाटी जैसलमेर औरतें आज भी घूंघट से अपना मुंह ढकती हैं। विशेषकर ग्रामीण अंचलों में बड़ी संख्या में महिलाएं घूंघट में रहती है। घूँघट हिन्दू समाज की वो प्रथा रही है जिसे लाज का प्रतीक माना जाता है. हिन्दू धर्म में महिलाओं पर घूँघट के लिए दवाब नहीं डाला जाता बल्कि महिलायें स्वयं … Read more

*विचार – प्रवाह*

“च” वर्ण से निर्मित चमचा , चालू , चापलूस , चुगलखोर , चाटुकार आदि शब्द आपस में भाई – बंधु ही है जो आज हमारे आस- पास खड़े और पसरे हुए हैं । उपर्युक्त हर शब्द आज के युग में जीवंत है । इन सबमें चमचा शब्द जो पहले कभी रसोईघर में काम लिए जाने … Read more

विचार प्रवाह

भीड़ जुट भी जाती है और जुटा भी ली जाती है । स्वतः जुटी हुई भीड़ सकारात्मक भाव लिए हुए और जुटाई हुई भीड़ नकारात्मक भाव लिए हुए होती है । स्वतः जुटी हुई भीड़ शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने का प्रयास करती है और जुटाई गई भीड़ हिंसक रूप लेते देर नहीं करती … Read more

विचार- प्रवाह

परमात्मा सबकी सुनता है , ज़रूरत है धैर्य और विश्वास की । पता नहीं हम क्यों इतने जल्दी अधीर हो जाते है और हमारी आस्था डगमगा जाती है , फलस्वरूप हम अन्य रास्ते अपनाने लग जाते हैं । ऐसी स्थिति में मन को मज़बूत रखना ज़रूरी होता है । दिक़्क़त यह है कि मन चंचल … Read more

आपने स्वार्थ के लिये जनता को मुर्ख न बनाएं

जब देश के पढ़े –लिखे बुद्धिजीवी लोग जिनमें कुछ डॉक्टर वकील, शिक्षक,प्रोफेसर, स्कूल कॉलेज के डायरेक्टर, पत्रकार, संपादक जैसे लोग सी ए ए और एन आर सी में अंतर समझे बिना मुस्लिम समुदाय को भृमित करने वाली बातें सोशल मीडिया में कथित सेक्युलरिज्म या फिर गंगा जमुनी तहजीब के नाम पर डालते हैं तो उनकी … Read more

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