बुराई हर जगह है, छोड़ कर कहां जाओगे?

एक बार की बात है। तब दैनिक न्याय के प्रकाशक व संपादक स्वर्गीय बाबा श्री विश्वदेव शर्मा अजमेर में थे। बाद में वे अहमदाबाद शिफ्ट हो गए। न्याय में एक प्रूफ रीडर थे। नाम भूल गया। शायद सरनेम मिश्रा था। निहायत सज्जन। निहायत सज्जन माने निहायत सज्जन। एकदम सीधे। अल्लाह की गाय समान। बिलकुल शुद्ध … Read more

आदमी को स्तन क्यों होते हैं?

क्या आपके दिमाग में कभी यह सवाल आया है कि आदमी के स्तन क्यों होते हैं? उनका क्या उपयोग? औरतों को तो इसलिए होते हैं कि क्योंकि जब वह बच्चे को जन्म देती है तो उसके पोषण के लिए प्रकृति उनमें दूध उत्पन्न करती है, मगर आदमी के स्तन तो किसी भी काम के नहीं। … Read more

पता लग सकता है कि मृतात्मा अगले जन्म में कहां गई?

हालांकि हम हर व्यक्ति के मरने पर उसके नाम के साथ स्वर्गीय शब्द जोड़ देते हैं, भले ही हमें यह पता भी न हो कि वह स्वर्ग में गया या नरक में। वैसे भी हमारे यहां परंपरा है कि यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में बुरा रहा हो, तो भी उसके मरने पर हम उसकी … Read more

क्या शिव और शंकर अलग-अलग हैं?

हमारी जनचेतना में यह बात गहरे बैठी है कि शिव और शंकर एक ही हैं। इन दोनों में कोई भेद नहीं समझा जाता। जब भी शिव लिंग पर जल चढ़ाते हैं तो मन में त्रिशूलधारी, त्रिनेत्र व नील कंठ की प्रतिमा होती है, जिनकी जटा से गंगा निकलती है। शंकर भगवान का वाहन नंदी को … Read more

क्या हिचकी आना किसी के याद करने का संकेत है?

जब भी हमें हिचकी आती है तो हम स्वयं व पास बैठा व्यक्ति यही कहता है कि जरूर कोई याद कर रहा है। दिलचस्प बात ये है कि जब हम विचार करते हैं कि कौन याद कर रहा होगा और उनके नामों का जिक्र करते हैं तो जिसका नाम लेने पर हिचकी बंद होती है … Read more

क्या उम्र बढ़ाई जा सकती है?

मौत अंतिम सत्य है, यह हर आदमी जानता है, मगर मरना कोई नहीं चाहता। मौत से बचना चाहता है। रोज लोगों को मरते देखता है, मगर खुद के मरने की कल्पना तक नहीं करता। इसी से जुड़ा एक सत्य ये भी है कि हर व्यक्ति लंबी उम्र चाहता है। यही जिजीविषा उसे ऊर्जावान बनाए रखती … Read more

हमारी छाया में भी छिपे हुए हैं राज

पिछले एक ब्लॉग में हमने आइने में दिखने वाले प्रतिबिंब के बारे में चर्चा की थी कि हालांकि उसका अपना कोई अस्तित्व नहीं है, फिर भी उसकी महत्ता है। अब हम चर्चा कर रहे हैं छाया की। छाया अर्थात सूर्य अथवा रोशनी के सामने आने वाली वस्तु के पीछे बनने वाली आकृति की। हम यही … Read more

ईश्वर वाकई अव्याख्य है

पूरी कायनात सुव्यवस्थित तरीके से चल रही है। निश्चित रूप से यह कहीं न कहीं से संचालित हो रही है। कोई न कोई तो इसे चला ही रहा है। वह भले ही हमारी तरह कोई मानव या महामानव न हो, मगर एक केन्द्र बिंदु जरूर है, एक पावर सेंटर जरूर है, जिसके इर्द-गिर्द पूरा संसार … Read more

अजमेर के पत्रकारों-साहित्यकारों की लेखन विधाएं

भाग चौबीस श्री विजय कुमार शर्मा पत्रकारिता के क्षेत्र में करीब 36 साल से सक्रिय श्री विजय कुमार शर्मा अजमेर में कदाचित पहले पत्रकार हैं, जो तब इंटरनेट का इस्तेमाल किया करते थे, जब स्थानीय पत्रकार इस बारे में कुछ नहीं जानते थे। सोशल मीडिया नेटवर्किंग पर न्यूज पोर्टल व यू ट्यूब चैनल के क्षेत्र … Read more

दर्पण में दिखाई देने वाले प्रतिबिंब का वजूद क्या है?

क्या आपने कभी सोचा है कि आइने अर्थात दर्पण में दिखाई देने वाले प्रतिबिंब का वजूद क्या है? वह आखिर है क्या? जब तक हम दर्पण के सामने खड़े रहते हैं, तब तक वह दिखाई देता है और हटते ही वह भी हट जाता है। तो जो दिखाई दे रहा था, वह क्या था? हटते … Read more

अजमेर के पत्रकारों-साहित्यकारों की लेखन विधाएं

भाग तेईस श्री गजानन महतपुरकर यह नाम नई पीढ़ी के पत्रकारों, लेखकों, साहित्यकारों, कवियों व राजनीतिज्ञों के लिए नया हो सकता है। वजह ये कि सन् 1989 में ही अजमेर शहर से प्रस्थान कर लिया था। लेकिन इससे पहले के जागरूक लोगों के लिए यह शख्स भलीभांति सुरपरिचित रहा है। अजमेर शहर में 16 मई, … Read more

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