क्षमा वाणी हिंदी की जुबानी
जी, हाँ! मैं हिंदी की कविता हूँ। क्षमा- वाणी पर्व पर अपने अपराधों, पापों के लिए क्षमा मांगती हूँ। कविता और अपराध ! ये युग्म विचलित करता है। इसका साकार रूप पीढ़ियों को गूंगा कर सकता है किन्तु स्वम दर्पण होने के दर्प को दर्पण दिखाने के लिए क्षमा मेरी जरुरत है। मैं संस्कृत के … Read more